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Sanskrit subhashitam

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    ⛳🌞 विदग्धा वाक् ⛳


    *भग्नदन्त इव व्यालः श्रेयान् मूर्खखलो वरः ।*
    *पक्षवानिव कृष्णाहिर्न त्वेवं खलपण्डितः ॥*

    --दशोपदेशः १.१८


    भग्नदन्त इव व्यालः श्रेयान् मूर्खखलः वरः । पक्षवान् इव कृष्णाहिः न तु एवं खल-पण्डितः ॥


    भग्नदन्त व्यालः श्रेयान् इव, मूर्ख-खलः वरः (स्यात्) । खल-पण्डितः कृष्णाहिः पक्षवान् इव न तु एवं (श्रेयान् भवति) ॥


    जो दुष्ट होकर मूर्ख हो, वह दन्तहीन साँप के समान कुछ अच्छा है । जो दुष्ट होकर विद्वान हो, वह पंखवाले काले कालेनाग के समान (बहुत भयानक होकर) श्रेष्ठ नहीं है।


    A bad man who is stupid, like a fangless snake is better than an evil genius who is terrifying like a black cobra with wings.
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