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Sanskrit subhashitam

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    Nothing is waste-Sanskrit sloka


    ⛳🌞 विदग्धा वाक् ⛳


    *अयुक्तं स्वामिनो युक्तं युक्तं नीचस्य दूषणम्।*
    *अमृतं राहवे मृत्युर्विषं शङ्करभूषणम्॥*
    --समयोचितपद्यमालिका पु ६.१२


    अयुक्तं स्वामिनः युक्तं युक्तं नीचस्य दूषणम्। अमृतं राहवे मृत्युः विषं शङ्कर-भूषणम्॥


    स्वामिनः अयुक्तं (अपि) युक्तं (भवति)। नीचस्य युक्तं (अपि) दूषणं भवति। राहवे अमृतं (अपि) मृत्युः (अभवत्)। (किन्तु) विषं शङ्कर-भूषणं (अभवत्)॥


    संयमित व्यक्ति के लिए अयोग्य वस्तु भी योग्य है। नीच के विषय में योग्य वस्तु भी दूषित होती है। (इसका उदाहरण) राहु के विषय में अमृत भी मृत्युकारक हुआ। और शंकर के लिए तो विष भी अलंकार होगया।


    Unsuitable thing in case of the noble tends to turn into good; but the good turns into evil for the wicked. For the Rahu, nectar became poison but for the noble Siva, even poison turned into embrosian embellishement.
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